उज्जैन विकास पर विशेष: 2028 तक का मास्टर प्लान और आवश्यक सुधार

उज्जैन, 16 अप्रैल: उज्जैन के विकास को लेकर एक नई योजना सामने आई है, जिसके तहत वर्ष 2028 तक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उज्जैन को आधुनिक और सुव्यवस्थित बनाना है, विशेष रूप से आगामी कुंभ मेले को ध्यान में रखते हुए, जिसमें अनुमानित 20 से 25 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना है।

प्रमुख चुनौतियाँ और समाधान

  1. सड़क और यातायात व्यवस्था
    • शहर में कई प्रमुख मार्ग संकीर्ण हैं, जिन्हें चौड़ा करने की आवश्यकता है।
    • प्रमुख फोरलेन और रिंग रोड का निर्माण जारी है, लेकिन शहर के अंदरूनी हिस्सों, विशेष रूप से पेशवाई मार्ग, को चौड़ा किया जाना आवश्यक है।
    • 17 महत्वपूर्ण चौराहों को 70 फीट के व्यास में विस्तारित करने की योजना है, जिससे दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
    • कोयला फाटक से छत्री चौक तक का मार्ग 60 फीट चौड़ा किया जाएगा, जिससे ट्रैफिक सुगम होगा।
  2. जल आपूर्ति और जल संरक्षण
    • गंभीर डेम का दूसरा चरण शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए ताकि जल संकट न उत्पन्न हो।
    • सभी प्रमुख तालाबों को शिप्रा नदी और गंभीर डेम से जोड़ा जाएगा, जिससे जल की उपलब्धता बनी रहेगी।
    • नए बांधों का निर्माण और जल स्रोतों का आपसी लिंकिंग सुनिश्चित किया जाएगा।
  3. पार्किंग और सार्वजनिक यातायात
    • पार्किंग की समस्या को हल करने के लिए मल्टी-लेवल पार्किंग विकसित की जाएगी।
    • एक नई रिंग रोड बनाई जाएगी, जिससे बाहरी वाहनों को शहर में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं होगी।
  4. रेलवे सुविधाओं का विस्तार
    • उज्जैन रेलवे स्टेशन को अपग्रेड किया जाएगा और पाँच नए फ्लैग स्टेशन विकसित किए जाएंगे।
    • प्लेटफार्मों की लंबाई बढ़ाकर प्रत्येक प्लेटफार्म पर एक अप और डाउन ट्रेन की सुविधा दी जाएगी, जिससे एक समय में 16 गाड़ियों की आवाजाही संभव होगी।
    • महाकाल मार्ग के लिए रोपवे परियोजना को भी अंतिम रूप दिया गया है।
  5. 200 वर्षीय मास्टर प्लान
    • उज्जैन के पुराने शहर के लिए एक नया मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा, जिसकी दृष्टि 200 वर्षों तक की होगी।
    • इस मास्टर प्लान में आधुनिक बुनियादी ढांचे, यातायात प्रबंधन, हरित क्षेत्र, और जल आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया जाएगा।

निष्कर्ष:
उज्जैन के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, इन योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन आवश्यक है। यदि इन सुधारों को तेजी से लागू किया जाए, तो उज्जैन न केवल धार्मिक बल्कि शहरी विकास का भी एक आदर्श मॉडल बन सकता है।

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