भोपाल। प्रेस आजादी पर्व के अवसर पर राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा भारत द्वारा एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई, जिसमें पत्रकारों के अधिकार, सुरक्षा और कल्याण को लेकर अनेक ठोस कदम उठाए जाने की बात कही गई। वक्तव्य में पत्रकार हितों की उपेक्षा को लेकर चिंता जताई गई और प्रदेश व देश की सरकारों पर निशाना साधा गया कि अब तक केवल औपचारिकताएं निभाई गईं, लेकिन पत्रकारों की जमीनी समस्याओं के समाधान के लिए ठोस नीति नहीं बनाई गई।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने साफ शब्दों में कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए जिन पत्रकारों ने प्राण गंवाए, उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है, लेकिन यह भी जरूरी है कि बचे हुए पत्रकारों की रक्षा के लिए व्यावहारिक और प्रभावी उपाय किए जाएं। उन्होंने मध्यप्रदेश में पत्रकार सुरक्षा अधिनियम की तत्काल आवश्यकता बताते हुए कहा कि सरकार को पहले ही प्रारूप सौंपे जा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है।
मुख्य घोषणाएं और मांगें:
- मध्यप्रदेश पत्रकार सुरक्षा अधिनियम को शीघ्र लागू किया जाए।
- पत्रकार कल्याण योजनाओं में अधिमान्यता की अनिवार्यता समाप्त हो। ग्रामीण और अर्ह पत्रकारों को भी लाभ मिले।
- मीडिया आयोग का गठन किया जाए जो पत्रकारों की शिकायतों और समस्याओं का निराकरण कर सके। यदि सरकार गठन नहीं करती, तो राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा भारत ने निजी मीडिया आयोग का गठन करने की घोषणा की है।
- सभी पत्रकारों (ग्रामीण व शहरी) का जनसंपर्क विभाग में अनिवार्य पंजीयन हो और उन्हें पहचान पत्र दिए जाएं।
- पत्रकारों का सामूहिक जीवन बीमा मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कराया जाए, जिसका प्रीमियम सरकार वहन करे।
- पत्रकारों की आर्थिक मदद के लिए नेशनल मीडिया वेलफेयर ट्रस्ट इंडिया को विस्तार देने की घोषणा की गई, जिसकी राज्य व केंद्र इकाइयाँ बनाई जाएंगी।
- मई अंत तक सभी योजनाएं लागू नहीं होने पर जून में नेशनल मीडिया कॉन्फ्रेंस का आयोजन बुरहानपुर में करने की घोषणा की गई है, जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश संगठक तजफ्फर हुसैन मुलायमवाला को सौंपी गई है।
अध्यक्ष ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी संगठन से संघर्ष करना नहीं, बल्कि पत्रकारों के हक़ में एकजुट होकर काम करना है। सभी संगठनों का सम्मान करते हुए उन्होंने आग्रह किया कि पत्रकारों की एकता और सेवा ही सबसे बड़ा लक्ष्य होना चाहिए।
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