उज्जैन= कालिदास अकाद्स्मी के डा व्यास संकुल सभा गृह में , सम्राट विक्रमादित्य की न्याय व्यवस्था समागम विचार गोष्ठी में ,, यही निष्कर्ष निकला की , न्याय में ,धर्म , नेतिकता , सत्य , निष्पक्षता, सर्व सम्मत राय होना अनिवार्य हें , सच्चे न्याय में विलंब भी घातक ही होता हें= मप्र के मुख्य न्यायधीश विष्ट ने , मप्र में न्याय धीशो की कमी की बात भी कही , न्याय धीश वर्मा ने तो सारा सच ही सामने रख दिया= मु मंत्री डा मोहन यादव ने खा की ,सम्राट विक्रमा दित्य जेसी संकल्पता ,क्षमता जरुरी हें= राजा विक्रामादित्य के दरबार ९ रत्न थे , उनसे सलाह लेकर ही न्याय किया जाता था वो भी समय सीमा में , सभी न्याय से संतुष्ट होते थे यह बात डा मोहन यादव ने अपने उद्बोधन में कही=समारोह में , ४ संस्थाओं की भागीदारी थी , आम जनता की भागेदारी नाम मात्र की थी=उज्जैन से गिद्ध गायब, कारण दो टांग वाले गिद्धों की भरमा प्रेस को डा मोहम यादव ने , विक्रमोत्सव की जानकारी दी= स्मार्ट विक्रमादित्य ने न्याय व्यवस्था का हमेशा सम्मान ही किया था
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