रिपोर्ट (रघुवीर सिंह पंवार ) जापान यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भारतीयों में दूध में शक्कर की तरह घुलने और हर जगह एडजेस्ट होने की अद्भुत क्षमता है। उन्होंने यह बात जापान में “फ्रैंड्स ऑफ एमपी” से संवाद करते हुए कही। इस दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश में पर्यटन, ऑटोमोबाइल, टायर मैन्युफैक्चरिंग और रेडीमेड गारमेंट उद्योग में अपार संभावनाओं का जिक्र किया और जापान के निवेशकों को आमंत्रित किया।
भारतीयों की निष्ठा और समर्पण
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय अपनी पारिवारिक परंपराओं के कारण जहां भी काम करते हैं, वहां निष्ठा और समर्पण की भावना रखते हैं। यही वजह है कि वे हर देश में अपने काम से पहचान बनाते हैं।
भारत और जापान: विकास के प्रतीक
डॉ. यादव ने जापान के ध्वज में उगते सूरज और भारत के तिरंगे में मौजूद अशोक चक्र का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों देशों के झंडे निरंतर विकास और उज्जवल भविष्य के प्रतीक हैं। उन्होंने जापान में काम कर रही 50 भारतीय कंपनियों की सराहना की और भारतीयों से जापान में पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कार्य करने की अपील की।
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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के आत्मविश्वास और वैश्विक प्रतिष्ठा में वृद्धि की बात कही। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व ने देश को सुरक्षित रखा और आर्थिक रूप से मजबूती दी।
औद्योगिक निवेश के लिए आमंत्रण
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने फरवरी में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) के लिए जापान के उद्यमियों और प्रवासी भारतीयों को आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध है और निवेशकों को हर संभव सुविधा दी जाएगी।
भारतीय संस्कृति और वैश्विक योगदान
डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय संस्कृति “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना को आत्मसात करती है। भारतीय जहां भी जाते हैं, वहां के विकास और कल्याण में जुट जाते हैं।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की जापान यात्रा भारतीयों की वैश्विक पहचान और मध्यप्रदेश की औद्योगिक संभावनाओं को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है। उन्होंने जापान में बसे भारतीयों को अपने मूल से जुड़े रहने और मध्यप्रदेश के विकास में योगदान देने का आह्वान किया।
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