जबलपुर: रिपोर्ट उज्जैन (रघुवीर सिंह पंवार )
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर बड़ा फैसला सुनाते हुए राज्य में 27% आरक्षण का रास्ता साफ कर दिया है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने यूथ फॉर इक्वलिटी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। इस फैसले के साथ ही भर्तियों में 87:13 के फार्मूले को रद्द कर दिया गया है।
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होल्ड पर रखे 13% पदों पर नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त
हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद उन 13% पदों पर नियुक्ति का रास्ता भी साफ हो गया है, जो लंबे समय से होल्ड पर थीं। अदालत ने स्पष्ट किया कि अब राज्य में 27% ओबीसी आरक्षण लागू करने में कोई बाधा नहीं है।
लंबे विवाद का पटाक्षेप
वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि चार अगस्त 2023 को हाईकोर्ट ने राज्य में भर्तियों के लिए 87:13 का फार्मूला लागू किया था। इसके तहत 87% पद अनारक्षित और 13% पद ओबीसी वर्ग के लिए रखे गए थे। यह फार्मूला महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर तैयार किया गया था, लेकिन इससे सभी भर्तियां ठप हो गई थीं।
याचिका में क्या कहा गया था?
यूथ फॉर इक्वलिटी ने 27% ओबीसी आरक्षण को चुनौती देते हुए तर्क दिया था कि यह संविधान के प्रविधानों का उल्लंघन करता है और समानता के अधिकार को प्रभावित करता है। हाईकोर्ट ने इन तर्कों को खारिज करते हुए याचिका अस्वीकार कर दी।
सरकार को स्पष्टता और उम्मीदवारों को राहत
हाईकोर्ट के इस आदेश से प्रदेश में रुकी हुई भर्तियों को फिर से शुरू करने का रास्ता खुल गया है। सरकार अब 27% ओबीसी आरक्षण के तहत भर्तियां तेजी से आगे बढ़ा सकती है। इससे ओबीसी वर्ग के लाखों उम्मीदवारों को लाभ मिलेगा, जो लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे।
फैसले के प्रभाव:
- रुकी हुई सभी भर्तियां अब शुरू हो सकेंगी।
- ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण का पूरा लाभ मिलेगा।
- भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिलेगा।
हाईकोर्ट का यह निर्णय राज्य में आरक्षण विवाद को समाप्त करने और प्रशासनिक प्रक्रिया को सुचारु रूप से आगे बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा।
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