आज की कड़वी बाते[२९-१-२०२३]हर आँख कहानियों का समुन्दर हें , उसे पढने ओर समझने और पढ़ने का जज्बा और भावना चाहिए =वो सन्देश देते हें मिलने का , हम तो यादो में ही मुलाक़ात कर लेते हें =देश के आकाशं में झूठ के परिंदे , कोहरा बन कर , अधिकार जमाए हुए हें, सत्य सूर्य का अस्तित्व मिटाने को=भारत , अब राष्ट्र नहीं , भीड़ भरा भूखंड और दूकान हो गया हें, हवा , पानी , आस्था , सत्य ,धर्म तथा आत्मा तक बिकती हें आज की कड़वी बाते[२९-१-२०२३]हर आँख कहानियों का समुन्दर हें , उसे पढने ओर समझने और पढ़ने का जज्बा और भावना चाहिए =वो सन्देश देते हें मिलने का , हम तो यादो में ही मुलाक़ात कर लेते हें =देश के आकाशं में झूठ के परिंदे , कोहरा बन कर , अधिकार जमाए हुए हें, सत्य सूर्य का अस्तित्व मिटाने को=भारत, सांस्कृतिक , आध्यात्मिक तथा धनवादी कल्पांत के चक्रव्यूह में , धन देवता हो गये, अन्य देव तो पथ्थर की मूर्ति हो गये= लोग महफ़िल सजाते हें , हमसे जलने वालो को , दुश्मनों , दोस्तों तक को बुलाते हें , सब कुछ उनका , फिर भी हमारी ही बाते करते हो , खुश रहो=स्वस्थ रहने के लिए , आंसू भी बहाना जरुरी हें, तन , मन और आत्मा का बोझ कम करने = जीवन में नादानों से यारी रखना पड़ती , समझदार लोग तो हमेशा ही व्यस्त रहते हें=हम तो अपराधो की कठपुतली , जो जेसा नचाता हें वेसा ही नाचते हें , किन्तु से सीख भी लेते हें आज की कड़वी बाते[२९-१-२०२३]हर आँख कहानियों का समुन्दर हें , उसे पढने ओर समझने और पढ़ने का जज्बा और भावना चाहिए =वो सन्देश देते हें मिलने का , हम तो यादो में ही मुलाक़ात कर लेते हें =देश के आकाशं में झूठ के परिंदे , कोहरा बन कर , अधिकार जमाए हुए हें, सत्य सूर्य का अस्तित्व मिटाने को=भारत , अब राष्ट्र नहीं , भीड़ भरा भूखंड और दूकान हो गया हें, हवा , पानी , आस्था , सत्य ,धर्म तथा आत्मा तक बिकती हें आज की कड़वी बाते[२९-१-२०२३]हर आँख कहानियों का समुन्दर हें , उसे पढने ओर समझने और पढ़ने का जज्बा और भावना चाहिए =वो सन्देश देते हें मिलने का , हम तो यादो में ही मुलाक़ात कर लेते हें =देश के आकाशं में झूठ के परिंदे , कोहरा बन कर , अधिकार जमाए हुए हें, सत्य सूर्य का अस्तित्व मिटाने को=भारत, सांस्कृतिक , आध्यात्मिक तथा धनवादी कल्पांत के चक्रव्यूह में , धन देवता हो गये, अन्य देव तो पथ्थर की मूर्ति हो गये= लोग महफ़िल सजाते हें , हमसे जलने वालो को , दुश्मनों , दोस्तों तक को बुलाते हें , सब कुछ उनका , फिर भी हमारी ही बाते करते हो , खुश रहो=स्वस्थ रहने के लिए , आंसू भी बहाना जरुरी हें, तन , मन और आत्मा का बोझ कम करने = जीवन में नादानों से यारी रखना पड़ती , समझदार लोग तो हमेशा ही व्यस्त रहते हें=हम तो अपराधो की कठपुत= , जो जेसा नचाता हें वेसा ही नाचते हें , किन्तु अपराधो से सीख भी लेते हें