उज्जैन | घटिया .(रघुवीर सिंह पंवार ) भारत माता के सच्चे सपूत, जंग के मैदान के योद्धा, जिन्होंने 30 साल तक भारतीय सेना में देश की सेवा की, जब अपने पैतृक गांव उज्जैनिया लौटे, तो मानो पूरी धरती गूंज उठी! हर गली, हर चौपाल, हर घर देशभक्ति के रंग में रंग गया। स्वागत ऐसा हुआ कि पूरे इलाके में मिसाल बन गया।
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रेलवे स्टेशन पर ऐतिहासिक जनसैलाब!
सुबह से ही उज्जैन रेलवे स्टेशन परसेकड़ो की संख्या में लोगउमड़ पड़े। जैसे ही ट्रेन रुकी, माहौल“भारत माता की जयसुबेदार जितेंद्र सिंह ज़िंदाबाद”के नारों से गूंज उठा। लोगफूलों की वर्षाकर रहे थे, ढोल-नगाड़ों की गूंज से पूरा स्टेशन थर्रा उठा। लोग भावुक होकर अपने वीर सैनिक कापालकी में बिठाकरअभिनंदन करने लगे।
शौर्य की शोभायात्रा – 5 किलोमीटर तक उमड़ा स्वागत सैलाब!
जैसे ही जितेंद्र सिंह सिसोदिया रेलवे स्टेशन से निकले, बाइक रैली, बैंड-बाजे और सेकड़ो लोगो की भीड़उनके स्वागत में उमड़ पड़ी।फूलों से सजी कारमें सवार होकर जब वे गांव की ओर बढ़े, तो रास्ते भर जगह-जगहस्वागत ,फूलों की बारिश की जा रही थी और नारों की गूंज से पूरा इलाका गूंज उठा।
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गांव में हुआ अभूतपूर्व स्वागत – मानो दिवाली से पहले दीपावली आ गई!
गांव उज्जैनिया में जैसे ही सुबेदार जितेंद्र सिंह पहुंचे, वहां का नज़ारा देखने लायक था।हर घर पर तिरंगे लहरा रहे थे, रंगोली सजाई गई थी, दीप जलाए गए थे।गांव के बुजुर्गों नेशॉल ओढ़ाकर और साफा बांध करउनका सम्मान किया। महिलाएंआरती की थाललेकर खड़ी थीं, और बच्चों ने उनके सम्मान मेंदेशभक्ति के गीत गाए।
गर्व का क्षण – जब पूरा गांव खुशी से झूम उठा!
गांव के चौपाल परविशाल समारोह आयोजित किया गया, जहां गांव केबुजुर्गों, युवाओं और महिलाओं ने मिलकर अपने वीर सैनिक को ‘गांव का गौरव’ घोषित किया। इस दौरान जितेंद्र सिंह भावुक हो गए और कहा: “मैंने 30 साल तक देश की सेवा की, लेकिन जो प्यार और सम्मान मुझे आज मेरे गांव ने दिया, वह मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है!”
आतिशबाजी और भव्य भोज – जश्न का माहौल!, भव्य आतिशबाजी हुई और विशाल भोज का आयोजन किया गया।लोगों ने ढोल-नगाड़ों पर नृत्य किया, बच्चों ने देशभक्ति के गीत गाए, और चारों तरफ बसगर्व और खुशी का माहौल था।
ऐसा स्वागत, जो इतिहास बन गया!
गांवउज्जैनियाके इसऐतिहासिक दिन को लोग दशकों तक याद रखेंगे!सुबेदार जितेंद्र सिंह सिसोदिया की वापसी सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक युग का गौरवशाली उत्सव बन गया।