आधुनिक समय के इस दौर में जब विज्ञान, तकनीक और वैश्वीकरण की बातें हर चौक-चौराहे पर हो रही हैं, वहीं हमारे समाज की जड़ों को खोखला करने वाली साजिशें भी अपने पैर पसार रही हैं — और सबसे बड़ा आघात हमारे परिवार की आत्मा, हमारी मातृशक्ति पर हो रहा है।
हिंदू धर्म में नारी को देवी का स्थान दिया गया है — मां, बहन, बेटी, पत्नी के रूप में वह केवल रिश्तों की कड़ी नहीं, बल्कि संस्कृति की चेतना और सभ्यता की धड़कन है। किंतु यह दुर्भाग्य है कि आज इसी नारी शक्ति को छल और षड्यंत्रों के जाल में फंसाने के प्रयास तेज़ हो गए हैं। ‘लव जिहाद’ जैसी घटनाएं अब सिर्फ एक सामाजिक चिंता नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व और अस्मिता का प्रश्न बन चुकी हैं।
18 मई 2025, रविवार को बिछड़ोद
में पंचमुखी हनुमान मंदिर में आयोजित हिंदू समाज पंचायत इसी चिंता की गूंज है। यह आयोजन एक सामान्य सभा नहीं, बल्कि आत्ममंथन और सामाजिक उत्तरदायित्व का मंच है — जहाँ समाज के हर वर्ग, हर आयु, हर विचार के लोगों को मिलकर तय करना है कि अब और नहीं।
जब हमारी बहनें-बेटियाँ डर के साए में जीने लगें, जब माताएं अपनी संतानों को लेकर असुरक्षा की भावना से ग्रसित हों, जब धर्म और संस्कृति पर प्रश्नचिन्ह लगने लगें — तब चुप रहना सबसे बड़ा अपराध बन जाता है।
अब समय आ गया है कि हम केवल अपने घरों की चारदीवारी से बाहर निकलें। हमें समझना होगा कि एक समाज की सुरक्षा केवल कानून से नहीं, बल्कि उसके जागरूक नागरिकों से तय होती है। यह पंचायत इसी दिशा में एक जागरूक प्रयास है — जहाँ समाज अपनी भूमिका तय करेगा, महिला सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराएगा और आने वाली पीढ़ियों को सांस्कृतिक सुरक्षा की सौगात देगा।
हमें यह समझना होगा कि किसी भी समाज की आत्मा उसकी मातृशक्ति में बसती है। यदि वह असुरक्षित है, अपमानित है, छली जा रही है — तो संस्कृति, संस्कार, और सभ्यता सब कुछ मिट्टी में मिल जाएगा।
इसलिए, आइए — सिर्फ दर्शक नहीं, सहभागी बनिए।
बिछड़ोद की यह आवाज़ केवल एक गांव की नहीं, पूरे समाज की पुकार है।
🔸 तारीख – 18 मई 2025, रविवार
🔸 समय – प्रातः 11 बजे
🔸 स्थान – पंचमुखी हनुमान मंदिर, बिछड़ोद
विवेक की जरूरत है, एकजुटता की आवश्यकता है और सबसे बढ़कर, साहस की मांग है।
यह केवल पंचायत नहीं, एक जागरूक क्रांति की शुरुआत है।
विनीत सुमेर सिंह पंवार डॉ. मेहरवान सिंह डोड