जो संत , अपने आप में असंतुष्ट, महत्वाकांक्षी होता हें , वो संत नहीं होता हें, राम मंदिर के संत भी , अपने आपको को जाने तथा खुद को खोजे, ये मर्यादा हें , राजनीति करना संतो का धर्म नहीं