देश की न्यायपालिकाको भी वपना चरित्र बदलना होगी, आँखों पर पड़े पर्दों को हटाना होगा , शातिर खेल और तमाशे देखना होगे ,ऐसा तब ही होगा ,जब सच्चे न्याय में , धर्म , निष्पक्षता , राष्ट्र तथा जनहित चरित्र का समावेश होगा= वर्तमान बहुआयामी प्रदुषण से मुक्त भी होना होगा, ये आवाज सम्राट विक्रमादित्य की नगरी तथा वेदिक न्याय व्यवस्था की हें , जनता की आवाज भी