राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य: मध्यप्रदेश की प्राकृतिक धरोहर

भोपाल : सोमवार, फरवरी 17 – 2025 उज्जैन रिपोर्ट रघुवीर सिंह पंवार

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य को देश की महत्वपूर्ण प्राकृतिक धरोहर बताया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश वन्य जीव पर्यटन का वैश्विक केंद्र बनकर उभर रहा है। मुरैना स्थित देवरी घड़ियाल केंद्र से मुख्यमंत्री ने 10 घड़ियालों (9 मादा और 1 नर) को उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ा। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह तोमर, खजुराहो सांसद श्री वी.डी. शर्मा और वन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

वन्यजीव संरक्षण की नई पहल

मुख्यमंत्री ने बताया कि चंबल अभयारण्य में केवल घड़ियाल ही नहीं, बल्कि डॉल्फिन के पुनर्वास की भी प्रबल संभावना है। वन विभाग इस दिशा में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।

उन्होंने कहा कि बदलते जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से वन्य जीवों को नुकसान हो रहा है। इसके मद्देनजर सरकार जैव विविधता संरक्षण के लिए अनेक योजनाएं चला रही है। मुख्यमंत्री ने चंबल सफारी का भी अवलोकन किया और वन विभाग से संरक्षण प्रयासों की जानकारी ली।

चंबल नदी: घड़ियालों का प्रमुख निवास

दुनिया में करीब 3,000 घड़ियाल बचे हैं, जिनमें से 85% चंबल नदी में पाए जाते हैं। मध्यप्रदेश सरकार 1978 से चंबल नदी को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में संरक्षित कर रही है। 1981 में शुरू हुए “घड़ियाल ग्रो एंड रिलीज प्रोग्राम” के तहत घड़ियालों को कृत्रिम वातावरण में पालकर प्राकृतिक आवास में छोड़ा जाता है।

घड़ियाल पुनर्वास केंद्र, देवरी:

  • वर्ष 2024 की गणना में 2,456 घड़ियाल चंबल अभयारण्य में पाए गए।
  • 2024 बैच के 70, 2023 बैच के 95, 2022 बैच के 85, और 2021 बैच के 38 घड़ियाल केंद्र में संरक्षित हैं।
  • इस वर्ष कुल 108 घड़ियालों को चंबल नदी में छोड़ा जाना है, जिनमें से 98 पहले ही छोड़े जा चुके हैं।

पर्यटन और संरक्षण का संगम

मध्यप्रदेश सरकार चंबल क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। चंबल बोट सफारी अब पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बन गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार वन्य जीव पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।

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