हम तथा कथित हिन्दू भ्रमित हें , खुद को सुनहरा धोका दे रहे हें, अपनी आत्मा , विचारों भावनाओं को पाप कुंडो तथा कुकृत्यो की दीप से सजाते हें , मंदिरों में जाकर भीड़ बनते हें , भागवान तथा उनके सेनिको के आराम स्थलों तक को अपावन करते हें , हम अंधविश्वाश के दीप जला कर उसकी रोशनी में , अपनी जीवन यात्रा तय कर हें , हम कट्टर आध्यात्मिक होने की बजाय कट्टर धार्मिक होने का नाटक करते हें , सत्य से हमे नफरत हें , हम खुद को शातिर धोका दे रहे हें, बात बहुत कड़वी हें किन्तु सत्य हें