आज की कड़वी बाते[३१-१-२०२३]आरुणी रंग की बजाय, काला रंग सबको को क्यों पसंद आ रहा? जीवन यात्रा को आरुणी रंगी बनाये हम =तन की सुन्दर तस्वीर भी धोका हें, आत्मिक तथा कार्मिक सुन्दरता ही श्रेष्ठ होती हें , अपनी सुन्दरता पहले जाने =रिश्तो का इतिहास भी विचित्र होता हें , दिल से जुड़े रिश्ते , यादें बनते हें=उम्र दराजो को प्रेम की नहीं, छायादार धनकुबेर, आशियाने की ही चाहत रहती हें =राष्ट्र की सच्ची जीडीपी क्या हें , यह सत्य भी जाने जनता , नाजी बजट २०२३-२४ शातिर नाजीवादी धोका हें= देश में कफन , दांह संस्कार तथा नमक तक मंहगा , ये कोनसा , विकास हें ?जल , जमीन , आकाश , भावनाए , संस्कार तथा सनातन धर्म तक प्रदूषित , एसा नया भारत स्वीकार नहीं, जनता को=देवत्व नहीं , शेतानियत के रोबोट हो गए हम , किसे पूजे, किसे धिक्कारेराष्टऔर जनता केसाथ , शातिर तथा क्रूर , विश्वाशघात सरे आम , जनता फिर भी तालिया बजा रही क्यों?=संविधान , क्रान्ति सोच,क्रान्ति तक खा रही, जनता , ये केसा रोग लगा?=सूर्य के घर में, भी, अपना घर बनाने का होसला और धेर्य रखते हे हम= जलना , और जलते रहना ही हमारा धर्म और , तिमिर को मिटाना जो हें जीवन यात्रा हें ,हम कभी अस्त नहीं होते= हम, सूर्य ,चन्द्र बनने की चाहत नहीं रखते हें , वे तो ग्रहण से शापित हें ध्रुवतारा ही बनना हें