पंख तो परिंदों के होतें हे उड़ान हेतुकिन्तु , आज का आदमी, स्वार्थ , कुधर्म , कुकृत्यो , अंहकार , विश्वाश घात, सर्व अपमानक तथा मानवीय मूल्यों , ,सु संस्कृति, सनातन धर्म की ह्त्या , जीवत्व भावना तथा मर्यादाओं की ह्त्या करने के पंख वाला , अपने आप में , अजायब घर बन गया