नाजी गेंग के हाथो की कठपुतली , राष्ट्रपति ,अपना , राष्ट्र , समाज तथा जन धर्म तक भूली , नाजी प्रेम मेंम धृतराष्ट्र हो गई , उन्हें , पद पर बेठने का अधिकार ही नहीं ,इसी वक्त त्याग पत्र दे , जनता की आवाज , पद की गरिमा ही समाप्त कर दी