देश का बिकाऊतथा खुद की आत्मा तक खाने वाला मीडिया देत्य हो गया तथा देश को खबरों तथा समाचारों का श्मशान तथा कब्रिस्तान बना रहा, जनता धिक्कार रही , किन्तु शर्म नहीं आ रही