भोपाल रिपोर्ट ( रघुवीर सिंह पंवार ) 2003 में सत्ता परिवर्तन में शासकीय विभागों में कार्यरत दैनिक वेतन, अस्थाई, मस्टर कर्मचारियों के सवाल राजनीतिक चर्चा में सर्वोच्च स्थान पर रहे। भाजपा की मुख्यमंत्री प्रत्याशी आदरणीयां उमा भारतीजी ने स्वयं दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के सवालों को लेकर प्रदेशभर में अभियान चलाया था, मीडिया विमर्श का भी प्रमुख मुद्दा रहा था। 20 साल बाद 2023 में स्थिति पहले से ज्यादा भयानक है, दैनिकवेतन भोगी अब भी जिस स्थिति में पहले थे उसी स्थिति में अब भी है, उनका नियमितीकरण नहीं हुआ है, जबकि भाजपा का वादा भी यही था ।
पिछले 15-18 साल में सरकारी विभागों की नौकरियों में आउटसोर्स कल्चर पैदा हुआ है, यह अब तक का सबसे अन्यायकारी, पीड़ादायक कल्चर है, सभी 56 विभागों, निगम मंडलों, नगरीय निकायों, बैंकों, पंचायतों, एमपीईबी, सहकारिता, दुग्ध संघ आदि सभी जगह आउटसोर्स, ठेका कल्चर फैल चुका है, जिसमें 12 से 15 लाख कर्मचारी काम करते हैं, जो सरकार का महत्वपूर्ण काम करते हैं, इमर्जेंसी सेवाओं में भी यही कर्मचारी लगे हुए हैं। सभी 25 से 35 साल के युवा हैं, यह पूरी एक पीढ़ी है, जिसके साथ सरकार अन्याय कर रही है।
सरकारी विभागों का 80 प्रतिशत ठेका करण हो चुका है, जो चिंता का विषय है। सरकार के पास व्यावसायिक शिक्षक नहीं हैं, कंप्यूटर आपरेटर नहीं हैं, ड्राइवर नहीं हैं, डायल 100 नहीं है, एंबूलेंस 108 नहीं हैं। वैक्सीन लिफ्टर (एवीडी) नहीं हैं, योग प्रशिक्षक नहीं हैं। क्लास 4 एवं क्लास 3 की भर्तियां 2003 के बाद हुई ही नहीं हैं, जबकि समाज के गरीब, मध्यमवगीय परिवारों के बच्चों को सबसे अधिक रोजगार इन्हीं नौकरियों में मिलता है। सरकारी विभाग नहीं बचेंगे, तब नौकरियां कहां मिलेंगी, यह सवाल है, जिस पर 2023 के विधानसभा चुनावों में प्रमुखता से चर्चा होनी चाहिए,
पहली बार प्रदेश के 12-15 लाख आउटसोर्स, अस्थाई, ठेका, दैवेभो, अंशकालीन, मस्टर कर्मचारी आउटसोर्स अस्थाई एवं ठेका कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के मंच पर अपने साथ होते आ रहे अन्याय के खिलाफ बोलने जा रहा है, जिसके तहतः-
1- शनिवार, 9 सितंबर को सीहोर से सीएम हाउस तक तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी,
2- रविवार, 10 सितंबर से शाहजानी पार्क में डेरा डालो आंदोलन किया जाएगा।