अघोरी पंथ के साधक ने महाकाल और कालिका माता की कृपा पर किया खुलासा:

हाल ही में एक अघोरी पंथ के साधक ने अपने जीवन के अनुभवों और सनातन धर्म पर एक बेहतरीन बयान दिया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार महाकाल और कालिका माता की कृपा से उनका जीवन बदला और वह अघोरी पंथ में आए। उन्होंने कहा कि उनका जीवन 7 साल की उम्र से शुरू हुआ, जब गुरु महाराज ने उन्हें हरिद्वार भेजा, जहां उन्होंने 12 वर्षों तक साधना की और भगवान के प्रति अपनी आस्था को मजबूत किया।

साधक ने बताया कि साधना के दौरान उन्होंने कई बार शारीरिक और मानसिक त्याग किया। उन्होंने कहा, “आज का समाज धन और मोह-माया में फंसा हुआ है। यदि आप धर्म की राह पर चलने की कोशिश करेंगे, तो आपको लोग गलत कहेंगे, लेकिन हमें अपने धर्म से प्यार करना चाहिए।” उनके मुताबिक, आज के समय में लोगों की मानसिकता बहुत बदल चुकी है, और केवल धर्म के प्रति अडिग विश्वास रखने वाले लोग ही सही राह पर चल सकते हैं।

उनका कहना था कि समाज में गोहत्या और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ रहे हैं, लेकिन लोग इन मुद्दों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते। उन्होंने कहा, “अगर मुझे किसी ने गलत किया या किसी ने मंदिर तोड़ा तो मैं उसे बर्दाश्त नहीं करूंगा। धर्म के लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं।”

साधक ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा के बारे में भी बताया, जिसमें उन्होंने अपने तीसरे रूप के दर्शन किए और बताया कि उनका रूप अर्धनारीश्वर के रूप में था। उन्होंने काली माता की कृपा से अपने जीवन को समर्पित कर दिया है और अब माता रानी के रूप में अपनी साधना जारी रखी है।

साथ ही, उन्होंने अपने गुरु के मार्गदर्शन में तांत्रिक विद्या और शमशान साधना के महत्व को भी समझाया। उनका मानना है कि इन साधनाओं से ही आत्मा को शांति मिलती है और जीवन का उद्देश्य पूरा होता है।

आखिरकार, उन्होंने यह भी कहा कि उनका जीवन महादेव के समर्पण में है और वह सब कुछ त्याग कर भगवान के रास्ते पर चल रहे हैं। उनके अनुसार, शमशान की साधना और महादेव की कृपा ही जीवन का असली उद्देश्य है, और यह शुद्ध आस्था और भक्ति से ही संभव है।

उनकी बातें इस समय के समाज और धर्म के बीच संतुलन की आवश्यकता को दर्शाती हैं, जहां लोग धर्म को सही मायने में समझें और अपनी ज़िन्दगी में उस पर अमल करें।

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