भोपाल 19/09/2023 मध्य प्रदेश में पिछले दो दशक में नए जिले बने हैं. वहीं अभी भी नए जिले की राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है. मध्य प्रदेश में पिछले दशको में पिपरिया को जिला बनाने की मुहिम ठण्डे बस्ते में चली गई थी। अब नव युवको में जाग्रति आई है और यहां के लोग अपने क्षेत्र को जिला बनाने की मांग लगातार उठा रहे हैं. अब नए जिले की राजनीति कहां थमेगी, यह कहा नहीं जा सकता है लेकिन इसका लाभ किसे मिलेगा? इस सवाल का जवाब चुनाव के बाद मिल जाएगा.।
लेकिन अब पिपरिया पौसार के लोग भी इस मुहिम में शमिल हो गये है।
हालांकि शिवराज सरकार ने लाडली बहनो को 1000 रू देने की स्कीम, 450 रूपये में गैस सिलेण्डर देने की स्कीम, हवाई यात्रा लागू करने की पहल, किसानों को बिजली, बच्चों को लेपटाॅप, स्कूटी एवं अन्य योजनाओं से आमजन में पैठ बनाई है।
लेकिन शिवराज सरकार ने नए जिलों की घोषणा का वादा पूरा कर राजनीतिक समर्थकों के साथ विरोधियों को भी साधा है। कांग्रेस को चुनावी लीड मिल सके। तो कमलनाथ ने पिपरिया जिला बनाने का आष्वासन दे दिया कि कांग्रेस अगर सत्ता में आई तो सरकार पिपरिया को जिला बनायेगी। पिपरिया में लंबे समय से कांग्रेस नहीं जीत रही है।
गुड गवर्नेंस और फास्ट सर्विस डिलीवरी
आर्थिक एवं प्रशासनिक मामलों के एक्सपर्ट प्रो.एसएस सोमरा के मुताबिक राज्य सरकार को जनता की उम्मीद के अनुसार गुड गवर्नेंस और फास्ट सर्विस डिलीवरी देनी होती है। बड़े जिलों (क्षेत्रीय दायरे) में यह संभव नहीं हो पाता। छोटे जिले होंगे तो समय बचेगा और जनता का पैसा भी। जब दायरा छोटा होगा तो प्रशासनिक अधिकारियों और लोगों के बीच संवाद बढ़ेगा। लोग कलेक्टर-एसपी से मिल सकेंगे। जिले के अधिकारी भी जनता के बताए कामों का फॉलोअप जल्दी से ले सकेंगे। सभी लोगों की मुख्यालयों तक पहुंच होगी। सड़क, पानी, बिजली, सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं में सुधार होगा। दूर-दराज गांवों तक के लोगों को जिला मुख्यालय पर बैठे अफसरों तक पहुंचने में आसानी रहेगी। अगर पिपरिया जिला बन जाता है तो पिपरिया की जनता के लिये यह एक बहुत बडी सौगात रहेगी।