1. राज्यसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
देश में पहली बार राज्यसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। विपक्ष ने 70 सांसदों के हस्ताक्षरों के साथ यह कदम उठाया। विपक्ष का आरोप है कि अध्यक्ष धनगढ़ ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया और विपक्षी सांसदों को बोलने का उचित मौका नहीं दिया। 20 दिसंबर को संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होने से पहले इस प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो पाएगी। अब यह मामला अगले सत्र में सुना जाएगा। यह घटना भारतीय संसदीय राजनीति में ऐतिहासिक मानी जा रही है।
2. संसद में झूठे आरोप और भाजपा की भूमिका
संसद में विपक्ष ने भाजपा पर झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया। “मीडिया पार्ट” नामक फ्रांसीसी संस्था का नाम लेकर कांग्रेस पर आरोप लगाए गए, जिसे बाद में मीडिया पार्ट ने खारिज कर दिया। इस प्रकरण ने सरकार की साख पर सवाल खड़े किए हैं।
3. संघ और मोदी सरकार के बीच तनाव
हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प की तलाश शुरू कर दी है। यह दावा राजनीति में बड़ी हलचल मचा रहा है। माना जा रहा है कि यह कदम मोदी सरकार को नियंत्रण में लाने की संघ की रणनीति का हिस्सा है।
4. न्यायपालिका में विवादित बयान
उत्तर प्रदेश के एक न्यायाधीश ने देश के बहुसंख्यक आधार पर चलने का बयान दिया, जिसे कई लोगों ने संविधान के खिलाफ बताया है। इस बयान पर व्यापक आलोचना हो रही है, और इसे भारतीय लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर चोट माना जा रहा है।
5. भाजपा के प्रचार में संतों की भूमिका
रामभद्राचार्य जैसे संतों द्वारा भाजपा के समर्थन में झूठे प्रचार का मामला सामने आया। एक घटना में केरल की प्रियंका गांधी को लेकर भ्रामक तस्वीरें प्रसारित की गईं, जिसे बाद में मणिपुर की एक तस्वीर बताया गया। यह घटना धार्मिक और राजनीतिक सीमाओं के धुंधलाने का प्रतीक है।
निष्कर्ष:
आज की घटनाएँ भारतीय राजनीति, न्यायपालिका, और समाज के कई पहलुओं की गहरी चुनौतियों को उजागर करती हैं। यह समय है जब देश संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः सुदृढ़ करे।