राष्ट्र , समाज , जनता तथा सनातन धर्म, प्रजातंत्र का दुर्भाग्य , शातिर डकेत गेंग का षड्यंत्री दल्ला , फिर पीम बनने की राह पर , सत्ता के पेड़ से गिरे , कचरा बने , चेहरे , जन कल्याणक बन रहे , जनता धिक्कार रही, जिल्लत भरा राजनेतिक जीवन जी रहे , ऐसे चेहरे मर क्यो , नहीं जाते?