हर पंथ की संस्कृति का सन्देश अतीत को भूले और वर्तमान को महत्व देकर, अपना स्वर्णिम युगबनाये=पंथ परिवर्तन को , धर्म परिवर्तन, क्यों ?माना जा रहा , धर्म , परिवर्तन तो संभव ही नहीं