सभी धर्मो तथा पन्थो में , जितने भी अंधविश्वास , झूठे सिद्धांत तथा कुप्रथाए , विद्धमान हें , वे कुसंस्कार हें , , कुसंस्कृति हें , उन्हें समाप्त करना जरुरी हें, ये आगाज मोहन भागवत का हें , स्वामी विवेकान्द का निर्णय भी हें=सनातन धर्म के नाम पर सत्तावादी राजनीति करने वालो की आँखे खोलने वाला सन्देश हें, धर्म का राजनीतिकरण , जनता को स्वीकार नहीं,सभी को धिक्कार