भारत का पत्रकारिता सम्मेलन: पत्रकारों की भूमिका और चुनौतियां
उज्जैन रिपोर्ट (रघुवीर सिंह पंवार ) भारत में पत्रकारिता के महत्व और उसके बदलते स्वरूप पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ी प्रतिष्ठित हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
मुख्य बिंदु:
- पत्रकारिता की ऐतिहासिक यात्रा:
कार्यक्रम में पत्रकारिता के शुरुआती दौर से लेकर वर्तमान समय तक के सफर पर चर्चा की गई। 1780 में बंगाल गजट से शुरू हुई पत्रकारिता ने कई चरणों का अनुभव किया।- क्रांति काल: पत्रकारों ने आजादी के लिए संघर्ष किया।
- नव जागरण काल: सामाजिक सुधार के आंदोलनों का समर्थन किया।
- नव निर्माण काल: स्वतंत्र भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाई।
- बदलता स्वरूप:
वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि आज की पत्रकारिता पूंजीवाद और भौतिकवाद से प्रभावित हो गई है। बड़े चैनल और समाचार पत्र मुख्यतः मुनाफा कमाने पर केंद्रित हो गए हैं। - निचले स्तर के पत्रकारों की भूमिका:
ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं को उजागर करने और शासन तक पहुंचाने में स्थानीय पत्रकारों के योगदान की सराहना की गई। वक्ताओं ने कहा कि ये पत्रकार सुविधाओं के अभाव में भी जनहित के मुद्दे उठाते हैं। - पत्रकारिता के अधिकार और चुनौतियां:
संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। लेकिन पत्रकारों के लिए अलग से कोई विशेषाधिकार नहीं दिया गया है। इस पर भी चर्चा हुई कि चौथे स्तंभ के रूप में पत्रकारिता को मजबूती प्रदान करने की जरूरत है। - सरकारी पहल:
मध्य प्रदेश सरकार की 20 वर्षों की सेवा पूरी कर चुके पत्रकारों को सम्मान निधि देने की पहल की सराहना की गई।
समापन:
कार्यक्रम में वक्ताओं ने पत्रकारिता को एक मिशन और तपस्या के रूप में देखने की बात कही। समाज में सच्चाई और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सर्जनात्मक और संवेदनशील पत्रकारिता की आवश्यकता पर बल दिया गया।
निष्कर्ष:
यह कार्यक्रम पत्रकारिता के बदलते आयामों और इसकी चुनौतियों पर विचार-विमर्श का एक मंच बना। वक्ताओं ने भरोसा जताया कि पत्रकारिता अपने मूल्यों और आदर्शों को बनाए रखते हुए आगे भी समाज और देश के लिए अहम भूमिका निभाएगी।