यदि चरित्रहीन, छली , कपटी और धूर्त प्रत्याशी, चाहे जिस दल का हो या निर्दलीय, उसे पार्टी और जनता हराए, यही राष्ट्रीय तथा सामाजिक कर्तव्य हें|पंडित दीन दयाल उपाध्यायजी की भावना थी