चतुर्मास: सगुण भक्तिभाव साधना और जीवन को उन्नत बनाने का विशेष समय

वैदिक सनातन धर्म मे सगुण भक्ति भाव साधना से परमात्मा की निकट रहकर इस जीवन को उन्नत बनाने के लिए चातुर्मास आस्था से बनाया जाएगा । चातुर्मास में भगवान विष्णु विश्राम करते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं देवउठनी एकादशी के बाद विष्णु फिर से सृष्टि का भार संभाल लेते हैं। देवप्रबोधनी एकादशी तक भगवान विष्णु विश्राम करेंगे इस दौरान शिवजी सृष्टि का संचालन करेंगे इन दिनों में शिव जी और विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए।

चातुर्मास के स्वामी भगवान श्री हरि विष्णु हैं इसलिए इस मास में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से जीवन मेंसुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है और माता लक्ष्मी की कृपा भी रहती है। चातुर्मास, आषाढ़ मास की एकादशी तिथि से शुरू होता है और कार्तिक मास की एकादशी को समापन होता हैसनातन और जैन धर्म की परंपरा में चातुर्मास का विशेष महत्व है। चातुर्मास केवल चार महीनों का अवधि नहीं होती बल्कि यह जीवन को नए तरीके से शुरू कर सकते हैं। इस समय ईश्वर का गुणगान और ध्यान करने से जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।

चातुर्मास में नहीं होंगे मांगलिक कार्य

पं व्यास के अनुसार इस बार अधिक मास नहीं होने के कारण चातुर्मास के बाद आने वाले सभी त्योहार 11 दिन पहले आएंगे. इस बार 17 जुलाई से चातुर्मास शुरू होगा और 12 नवंबर तक रहेगा. यानि इस बार पूरे 118 दिनों तक रहेगा इस शुभ विवाह मांगलिक कार्य निषिद्ध है ।

चातुर्मास में न करें ये कार्य
चातुर्मास से विवाह-सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, 16 संस्कार ये सभी कार्य वर्जित माने जाते हैं. साथ ही ब्रजधाम जैसे शुभ जगहों की यात्रा भी नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा इस चातुर्मास में मांस मदिरा, अनैतिक कार्य और झूठ जैसे कार्यों से बचना चाहिए. चातुर्मास में श्रीहरि के नाम का जाप करना चाहिए । बैंगन, साग, पत्तेदार सब्जियां, गरम मसाला और तेल वाला भोजन नहीं करना चाहिए.|

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स्वर्ग की चाहत और मोट की सचाई

चातुर्मास देव आराधना तपस्या देवताओं के त्योहार के रूप मे प्रमुख तिथि तारिक मे बनाये जायेगे ।
देव शयनी एकादशी 17 जुलाई
गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई
हरियाली अमावस्या 4 अगस्त
नाग पंचमी 9 अगस्त
रक्षाबंधन 19 अगस्त
जन्माष्टमी 26 अगस्त
हरतालिका तीज 6 सितंबर
पार्थिव गणेश स्थापना 7 सितंबर
ऋषि पंचमी 8 सितंबर
जलझूलनी एकादशी (डोल ग्यारस)14 सितंबर
श्राद्ध पक्ष आरंभ 18 सितंबर
सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर
नवरात्रि प्रारंभ 3 अक्टूबर
विजया दशमी 12 अक्टूबर
शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर
करवा चतुर्थी 20 अक्टूबर
धनतेरस 30 अक्टूबर
दीपावली 1 नवंबर
भाई दूज 3 नवंबर
प्रबोधिनी एकादशी (देवोत्थान) 12 नवंबर
विशेष संयोग श्रावण सोमवार से प्रारंभ होने से पांच सोमवार का होगा श्रावण बाबा महाकाल की सात सवारी के रूप मे प्रजनन को नगर भ्रमण पर निकलेंगे ।

ज्योतिर्विद पंडित अजय व्यास
श्री मातंगी ज्योतिष केंद्र
8871304861