कलेक्टर ने तत्कालीन तहसीलदार ने बकायादार के प्रकरण का निराकरण विधिसम्मत तरीके से न होने पर विभागीय जांच प्रस्तावित करने हेतु एसडीएम को निर्देश दिये

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उज्जैन 05 जून। रिपोर्ट (रघुवीर सिंह पंवार ) कलेक्टर श्री कुमार पुरुषोत्तम ने तत्कालीन तहसीलदार श्रीमती मधु नायक के द्वारा पारित आदेश के परिप्रेक्ष्य में स्वमेव निगरानी में लिया जाकर निरस्त कर दिया है और शाखा प्रबंधक कर्नाटक बैंक उज्जैन को निर्देश दिये हैं कि बकायादार को स्वीकृत की गई राशि नौ लाख 90 हजार के साथ 9 सितम्बर 2015 से बकायादार द्वारा राशि अदायगी तक ब्याज की गणना कर प्राप्त करें एवं बकायादार से जितनी राशि अधिक प्राप्त की है, उतनी राशि उसके खाते में मय ब्याज के पांच दिवस में जमा करके कलेक्टर न्यायालय को लिखित में सूचित करने हेतु निर्देशित किया है।

श्रीमती मधु नायक तत्कालीन तहसीलदार उज्जैन द्वारा मप्र भू-राजस्व संहिता-1959 के प्रावधानों के अनुसार प्रक्रिया का पालन न करते हुए गंभीर किस्म की त्रुटियां स्वयं को अथवा किसी अन्य को लाभ पहुंचाने के लिये की गई परिलक्षित होती है। कलेक्टर श्री कुमार पुरुषोत्तम ने उक्त अधिकारी के विरूद्ध विभागीय जांच प्रस्तावित करने के लिये आरोप-पत्र, आधार-पत्र आदि तैयार करने के लिये और अभिमत प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु उज्जैन ग्रामीण के राजस्व अनुविभागीय अधिकारी को मूल प्रकरण भेजते हुए निर्देशित किया है। उक्त आदेश खुले न्यायालय में घोषित किया जाकर पारित किया गया।

आदेश के तहत आवेदक कर्नाटक बैंक लिमिटेड शाखा शंकु मार्ग फ्रीगंज उज्जैन ने आवेदन-पत्र आरसीसी पत्र अनावेदक घट्टिया के श्री नागूसिंह पिता फतेसिंह के विरूद्ध किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम के तहत नौ लाख 90 हजार रुपये की राशि बैंक नियमों के अधीन 9 सितम्बर 2015 को स्वीकृत की गई थी, किन्तु अनावेदक श्री नागूसिंह पिता फतेसिंह उक्त राशि बैंक नियमों के अनुसार समय-सीमा में जमा कराने में असफल रहने के कारण शोध्य रकम 11 लाख 71 हजार 685 रुपये वसूली का उल्लेख उक्त आरसीसी आवेदन-पत्र में किया हुआ है।

आवेदक के पुत्र अर्जुन सिंह पिता नागूसिंह निवासी घट्टिया ने कलेक्टर न्यायालय के समक्ष जनसुनवाई के दौरान प्रस्तुत एक निगरानी आवेदन-पत्र की छायाप्रति समक्ष में प्रस्तुत की गई, जिसमें तत्कालीन तहसीलदार श्रीमती मधु नायक, शाखा प्रबंधक कर्नाटक बैंक शंकु मार्ग फ्रीगंज उज्जैन, बैंक दलाल श्री राजेश रमानी तथा भूमाफिया श्री पुनीत जैन के नामों का उल्लेख करते हुए बताया कि उक्त व्यक्तियों ने बैंक ऋण वसूली की आड़ में शिकायतकर्ता के साथ धोखाधड़ी की है और अधिक राशि की वसूली भी की गई है। जांच उपरान्त कार्यवाही की जाये एवं अधिक वसूल की गई राशि वापस प्रदत्त किये जाने का आदेश प्रदान करने का शिकायतकर्ता को सहायता प्रदान करने का निवेदन किया गया था। शिकायती आवेदन-पत्र में शिकायत में उल्लेखित तथ्यों का सत्यापन किये जाने के लिये अधीनस्थ तहसीलदार का मूल प्रकरण अवलोकनार्थ मंगवाया गया, जिसमें पांच प्रकार की त्रुटियां/अनियमितता संज्ञान में आई।