उज्जैन में , मावठे की वर्षा से , रावणों के पुतलो की फजीहते हुई एक स्थान पर रावण का पुतला गिरा , बाद में उसको , दो भागो में बाता गया और उन्हें जलाया गया , वर्षा थमने के बाद , रावन के पुतले को खड़ा किया , नही जला तो , घाम्स्लेट दे जलाया गया , एक स्थान पर रावन का पुतला , आत्योको के उपर ही गिर पड़ा, एक स्थान पर रावन जला , नहीं उसे गलाया गया